Gulab Ji Chai Wale

गुलाब से गुलाब जी चायवाले का सफ़र!

गुलाबी नगरी में रहने वाले गुलाब जी के हाथों में ऐसा जादू है कि जो भी उनके हाथ की बनी चाय का स्वाद चख लेता है वो दोबारा जयपुर ज़रूर आता है। आज़ादी से पहले सन 1946 में गुलाब सिंह ने चाय का एक ठेला लगाया और उसके बाद एक छोटी सी दुकान ली, उस वक़्त के गुलाब अब गुलाब जी बन चुके हैं। समृद्ध परिवार में पैदा हुए गुलाब जी का जीवन बड़ा ही सादगी भरा है।

Owner

Shivpal Singh Ji

Gulab ji handed over all these tasks related to the shop to his adopted son Shri Shivpal Singh ji during his tenure. And all these pious works done by Gulab ji after his departure from this world are now being done by Shri Shivpal Singh ji with great devotion, and will continue to do so continuously

Sweetness Of Love Of Tea

Behind Ganpati Plaza, MI Road, Jaipur, there is a small tea shop, often a person in white kurta dhoti safa and most politely speaking person will be seen, his name is Gulab ji. There is such sweetness of love in their tea that it fascinates people. About 100 kilos of milk tea is sold from 4:30 in the morning till 8 in the night, and if we talk about delicious dishes, then the talk of “samosas” and ‘mawa ke peda’ fried in desi ghee at their small shop is unique.

चाय में मोहब्बत की मिठास

गुलाबजी की तरह उनकी चाय का स्वाद भी लाजवाब है। उनकी दुकान पर दूर दूर से लोग उनकी चाय पीने आते हैं। पूर्व उपराष्ट्रपति भौरोंसिंह शेखावत तो अक्सर उनकी दुकान पर चाय पीने आया करते थे। संतूर वादक शिवकुमार शर्मा को किसी संगीत प्रेमी ने जब गुलाबजी के कार्यों की जानकारी दी तो वे भी खुद को उनसे मिलने औऱ चाय पीने से नहीं रोक पाए।

गुलाबजी की जिजीवीषा का ही परिणाम है कि गणपति प्लाजा स्थित यंत्रेश्वर महादेव मंदिर में 40 सालों से उनके दम पर संगीत के दो बड़े समारोह होते रहे हैं। गुलाब जी ने ही इस मंदिर की स्थापना करवाई और हर साल सात फरवरी को मंदिर का स्थापना दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर भजन संध्या का आयोजन होता है इसके अलावा हर साल जन्माष्टमी के दिन भव्य कार्यक्रम होता है।हर साल 7 फरवरी औऱ जन्माष्टमी के दिन होने वाले इन समारोहों की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां कार्यक्रम देने वाले कलाकार इतनी बड़ी संख्या में जुट जाते है कि कई कलाकारों का तो अगले दिन सुबह तक भी नंबर नहीं आता। जयपुर ही नहीं राजस्थान के बाहर से भी कलाकार बिना बुलावे यहां आते है और गायन,वादन, नृत्य की एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देते हैं। खास बात ये है कि इस समारोह में कोई स्टेज नहीं होता । बिना औपचारिकता के सब कलाकार एक ही जाजम पर बैठते है।

आपने एक कहावत सुनी होगी, साईं इतना दीजिए जा में कुटुंब समाय, मैं भी भूखा ना रहूं और साधु भी भूखा ना जाय, भले ही ये कहावत किताबों में लिखी गई हो लेकिन इसे गुलाब जी सिद्ध कर दिखाया।

Biography

Gulab Singh Dhirawat

Birth 1925 - Death 2 May 2020

गुलाब जी का जन्म एक जागीरदारी प्रथाओं वाले एक  परिवार में हुआ था। लेकिन गुलाबजी के मानस पटल पर कभी जागीदारी खुमार नहीं रहा। बचपन से ही गुजाबजी के मन में धार्मिक और सेवा भावी प्रवृति रही। गुरुकुल में अपने पारिवारिक जोशी से पांच वर्ष तक शिक्षा ग्रहण कर गुलाबजी ने अपनी जागीरी का त्याग कर दिया । गुलाबजी ने निश्चय किया कि वो एक स्वाबलंबी बनेंगे। और सात्विक कमाई कर उसी से समाज सेवा करेंगे। औऱ उन्होंने एक चाय की दुकान खोल ली। चाय की दुकान खोलने के बाद ही गुलाबजी सुबह सुबह निशक्त जनों को मुफ्त में चाय पिलाने लगे। शुरु में तो दो चार निशक्त व्यक्ति हर रोज आया करते थे । पर आज उनकी संख्या 200-300 है, जिन्हें गुलाबजी निशुल्क चाय, ब्रेड व कचौरी उपलब्ध कराते है। यहीं नहीं दोपहर में भी गुलाबजी की दुकान पर निशक्त जनों को मुफ्त भोजन के कूपन बांटे जाते है जिनके आधार पर लगभग 200-300 लोगो को एक सब्जी औऱ पराठा बिना किसी शुल्क के खाना दिया जाता है।

Amazing personality

For 70 years, he has been feeding the hungry and the poor. They don’t save a penny from their income, they spend all they earn in public service. Renounced the fiefdom and became self-reliant. A man born in a prosperous family renounced the comforts and walked on the path of simplicity which was full of difficulties. These people are setting a unique example of charity in this world of glare.

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